Month: July 2014

चंद शेर

अपनी बर्बादी के किस्सों को बयान नहीं करतेकि कहीं उनमें अपनी ही कमजोरी होती हैखंज़र-ऐ-दुश्मन गर कभी चल भी जाए तो क्याअपने होसलों से कामयाबी हासिल करते हैं || ना डर तू किसी से ता ज़िन्दगीफिर वो खुद खुदा क्यों ना होसच कि राह पर गर तू चलेगा दुश्मन तो क्या खुदा भी तुझसे डरेगा …

हर इंसा आज यहाँ है तन्हा

तुम भी तन्हा हो हम भी तन्हा है और नज़ारा देखो दुनिया का हर इंसा यहाँ तन्हा है हादसा है ये ज़िन्दगी का हर इंसा खुद में ही तन्हा है  मुक़द्दर देखो इस इंसा का तन्हा इसने गुजारी ज़िन्दगी तन्हा ही मिली मौत भी इसे घुमा ये तन्हा हर गली हर गुचा फिर भी इसे …

कुछ लोग जो ऐसे मानते हैं

कुछ लोग जो ऐसे मानते हैं औरो से ज्यादा वो जानते हैं रिश्तों कि कीमत वो क्या जाने जो औरो को खुद से कम मानते हैं घमंड में ऐसे चूर हैं वो खुदा को भी बांटा करते हैं खुद को बड़ा बनाने को वो इबादत को भी झुठलाते हैं ऐसो के साथ क्या टकराना ऐसो …