हैदर – एक सूत्र गाथा

विशाल भरद्वाज ने जब बनाई हैदर
सोचा उन्होंने कि कहेंगे उसको हैमलेट
किन्तु चूक गए वो अपनी करनी में
रह गए वो सही विषय चुनने में||
चुना उन्होंने बशारत की कहानी को
सन १९९५ में घटित एक जुबानी को
किन्तु भूल गए कि कहानी है एकतरफा
किसी का हाल बयान किया तो दूजा भूल गए||
सच क्या है इस कहानी में नहीं लिखा
गर जानना है तो हर उस बाशिंदे से पूछो
घर छोड़ कर जो रह रहा विस्थापितों सा
अपने सर ज़मीन पर गैर बन चूका जो||
विशाल भूल गए तुम क्योंकर 
कि कश्मीर के सच में पंडितों की भी है गाथा
क्यों भूल गए कहानी को वो हिस्सा
रणबांकुरे जहा कटा गए अपना माथा||
अरे चित्रण गर तुम्हें करना ही है
तो करो सत्य का चित्रण सच्चे मनोरथ से
अधूरी कल्पना का चित्रण कर
ना भरो ज़हर तुम साधारण जन के जेहन में||

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