जब हम छोटे बच्चे थे दिल से हम सच्चे थे जात पात का नहीं था ज्ञान भेद भाव से थे अनजान जब हम छोटे बच्चे थे गली में जा खेला करते थे छत पर रात रात की बैठक थी चारपाई पर सेज सजती थी जब हम छोटे बच्चे थे मिलकर एक घर में रहते थे …
Month: January 2015
पत्तों से सीखो तुम ज़िन्दगी का अफ़सानाजीते है वो तुम्हें देने को स्वच्छ वायुजीते हैं वो तुम्हें देने को फल और फ़ूलदेते हैं सारी उम्र वो दूसरो कोसूख कर भी वो करते हैं भला सबकापेड़ उनको भले ही झाड़ कर गिरा देंपत्ते फिर भी खाद बन पेड़ के ही काम आते हैंकुछ भी हो रिश्ते …
ज़िन्दगी की जुत्सजु में हुआ है कमालज़िन्दगी को ही जीने की चुनौती दिए बैठे होज़िन्दगी की हर चाल तुम्हारे लिए हैऔर तुम उस चाल पर भी अपनी चाल लिए बैठे होक्या ज़ुल्म ज़िन्दगी तुमपर करेगी तुम खुद अपनी हार की माला लिए बैठे होज़िन्दगी से इस द्वंद्व में लड़ ज़िन्दगी सेतुम खुद अपनी असफलता संवार बैठे …
क्या तुम शान्ति नहीं चाहते? क्या तुम्हारे जीवन में नहीं कोई रस? क्यों तुम फैलाते हो आतंक? क्या यही है तुम्हारा धर्म? क्या नहीं चाहते तुम जीना? क्या नहीं चाहते लाना जीवन में नवरस? क्या तुम ईश्वर को नहीं पूजते? क्या तुम धर्मान्धता में हो डूबे? क्यों फैलाते हो तुम यूँ आतंक? क्या नहीं चाहते …