यूँ ना जा तू आज दामन छोड़ करकि इस दामन में तेरा बचपन पला हैइस आँचल ने तुझे तपिश में ढंका हैइसी आँचल की छाँव में तेरा लड़कपन गुजर हैना आज तू इस दामन को बेज़ार करना दुनिया के सामने अपनी माँ को शर्मसार करज़िद है गर तेरी कि तुझे खुद चाहिएतो चल उस राह …
Month: March 2015
ज़िन्दगी के कैसे दोराहे पर खड़े हैंकी जिस और कदम बढ़ाएंगे नुकसान ही हैगम-ऐ-जुदाई गर एक तरफ हैतो रिश्तों के कच्चे धागे दूसरी ओरअब चलें भी तो किस राह चलेंसाथ दें भी तो कि किसका देंआज अपने ही अपनों से बेगाने हैंआज अपनों से ही हम बेआबरू हुएदोराहे पर यूँ खड़े हैं अब हमयूँ ज़िन्दगी …