मरता है तो मरने दो

वो मरता है तो मरने दो 
नेता हैं तो क्षमा मांग लेंगे 
उसके मरने से उनको क्या 
वो तो सत्ता के नाम मरता है 
फांसी वो लगाये, चाहे खाए विष 
नेताओं को उससे क्या लेना है 
सत्ता के गलियारों में 
बस दो चार पल उसपर बोलना है 
किसान हो वो, या किसी का पिता 
इससे नेताओं का क्या है जाता 
पति हो किसी का या किसी का बेटा 
मरने से उसका नेताओं का ना कुछ मिटा 
लज्जा ना आई उनको यूँ बतियाते 
फांसी पर चढ़ गया कोई लाचार 
बैठ अपनों से वो करते रहे वार्तालाप 
ना उठ सके उसको लगाने एक हुंकार 
लज्जा ना आई उनको कि शोक मना लें 
जाकर देते हैं बयान, कि हैं क्षमाप्रार्थी 
क्या उनकी क्षमायाचना से 
उठ बैठा इंसान छोड़ अपनी अर्थी॥ 

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