खामोशियाँ मेरी पहचान है
कहीं दूर लफ़्ज़ों की दूकान है
पथ्थर से सर्द आज मेरे होंठ हैं
जुबां भी अब बेजान है
ये ज़िन्दगी जिस मोड़ पर है
खामोशियों में ही मेरी आवाज़ है
दफ़न है आज दर्द भी
हर मोड़ पर तेरी याद है
खामोशियाँ आज मेरा अक्स हैं
खामोशियों से ही मेरी पहचान है
पर ना काने है ये नादान दिल मेरा
ढूंढता है तुझे देख अक्स तेरा
ना जा अब तू दूर मुझसे
कि खो देंगे हम खुद को खुदसे
खामोशियों से भरी ये ज़िन्दगी
कहीं समा जाएगी खामोशियों में ॥