हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
बाँट चुके भगवान को
धरती बांटी अम्बर बांटा
अब ना बांटो इंसान को
धर्म स्थानो पर लहू बहाया
कर्मभूमि को तो छोड़ दो
ज्ञान के पीठ में अब तुम
ज्ञान का सागर मत बांटो
जाट गुज्जर पाटीदार जो भी हो
इसी धरा की तुम संतान हो
बहुत हो चुके बंटवारे धरा के
अब और ना बांटों इंसानो को
आरक्षण पद्धति अभिशाप है
रोकती राष्ट्र का प्रगति पथ है
त्याग अपनी मांग आरक्षण की
राष्ट्र को तुम बलशाली बनाओ॥