नवरात्रों का त्यौहार आया
माता का पर्व आया
घर घर अब बैठेगी चौकी
बारी है घट स्थापना की
चौक में पंडाल सजेगा
बीज शंख और ताल बजेगा
बजेंगे अब ढोल नगाड़े
खेलेंगे गरबा साँझ तले
माँ का आशीर्वाद निलेगा
यह सोच हर काज बनेगा
नव कार्यों की नीवं सखेंगे
हर किसी के सपने सजेंगे
नवरात्र के महिमा अनोखी
माँ खुद बन जाए सखी
साथ मेरे वो गरबा रचे
ढोल तासों में सुर पर नाचे
दुर्गा भवानी चंडी काली
हर नाम में है उसकी लाली
माँ है वो जग पालन करेगी
दुष्टों का वो नाश करेगी
इस नवरात्र है मेरी प्रार्थना
घर मेरे तू सुख शान्ति लाना
इस राष्ट्र जो है घर मेरा
फिर से एक बार कर दे सुनहरा
भ्रष्टाचार का तू नाश कर दे
भक्तों का भविष्य उज्जवल कर दे
नाश कर तू देशद्रोहियों का
आरम्भ कर दे उसके पतन का
इस नवरात्र मेरी यही अर्चना है
बस यही है मेरी प्रार्थना
सूखे को तू कर दे हरा
फसलों से लहलहा दे यह धरा
आशीर्वाद दे तू माँ अम्बे
कोई अब भूखा ना सोये
हर घर में जले चूल्हा
किसी के पेट की जले॥
Comments
नवरात्र पर बहुत सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति हेतु आभार!
नवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएं!
नवरात्र पर बहुत सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति हेतु आभार!
नवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएं!