ना तेरी बांसुरी ना तेरा माखनआज मोहे दे दे तू अपना चक्रना है अब ये महाभारतना चाहिए मुझे अस्त्रों में महारत मत बन तू मेरा सारथीमत बना मुझे तू अर्जुनआज बन तू मेरा साथीकरने को नए जग का सृजन कलयुग के अन्धकार में आजडूब गया है मानवधर्मफ़ैल रहा अधर्म चहुँ औरनहीं दिखता मानवता का छोर …
Month: January 2016
कुछ दूर निकल आये हैं घर की खोज में अकेले ही निकल आये हैं एक नए घर की खोज में साथ अब ढूंढते है तेरा घर की खोज में एक था वो दिन जब रहते थे तेरी छाँव में फिर दैत्यों ने किया दमन तेरी गोद में लहू की नदियां बहाई, तेरी धरा पर बहनो की …