कान्हा – सुन मेरी पुकार

ना तेरी बांसुरी ना तेरा माखन
आज मोहे दे दे तू अपना चक्र
ना है अब ये महाभारत
ना चाहिए मुझे अस्त्रों में महारत

मत बन तू मेरा सारथी
मत बना मुझे तू अर्जुन
आज बन तू मेरा साथी
करने को नए जग का सृजन

कलयुग के अन्धकार में आज
डूब गया है मानवधर्म
फ़ैल रहा अधर्म चहुँ और
नहीं दिखता मानवता का छोर

आदम आदम को आज चीर रहा
फैल रहा अत्याचार
हर घर में आज दानव बसा है
कर रहा व्याभीचार

आज बन मेरा तू साथी
कर एक नए युग का सृजन
उठा साथ मेरे तू अस्त्र
बदल दे समय का ये चक्र

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