कैसा है ये लोकतंत्र

कैसा है ये लोकतंत्र
कैसा है ये जनतंत्र
हैं एक मंच पर एकत्रित 
भारत विरोधी मित्र
स्वतंत्रता की अभिवक्ति का
करते हैं दुरुपयोग उस शक्ति का
करते हैं राष्ट्र विरोधी बातें
कहते हैं काली होंगी और रातें
करते हैं आपत्ति राष्ट्र ध्वज लहराने पर
लज्जित होते हैं वन्दे मातरम् बोलने पर
सर झुकाते हैं आतंकी के सम्मान में
नमन नहीं करते सैनिक के सम्मान में
राष्ट्र विरोधियों का देते हैं साथ
पढ़ते सदैव जात पात का पाठ 
हर समय देखते हैं सत्ता का स्वार्थ
राष्ट्र हित का नहीं करते परमार्थ
अन्ध्भक्त बन हम भी करते अनुसरण
नहीं समझते इसका कोई कारण
होती समाचारों में जो लीपा पोती
छुप जाती है सच्चाई नहीं हमें दिखती

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