धरा के वीर

कहते नहीं जब थकते तुम ये बात
कितनी स्याह होगी अब ये रात
बिछाते हुए आतंकवाद की बिसात
छुप क्यूँ जाते हो यूँ अकस्मात्
किस अफ़ज़ल का तुम बदला लोगे
भारत के क्या तुम टुकड़े करोगे
हर अफ़ज़ल को एक पवन मारेगा
किसी मक़बूल को ना महाजन छोड़ेगा
कश्मीर का तुम स्वर बनते हो
उसी कश्मीर में नरसंहार करते हो
माँ के सपूतों का लहू बहकर
चिल्लाते हो लश्कर लश्कर
मत भूलो तुम भारत की सेना को
सदैव तत्पर है जो राष्ट्र रक्षा को
वीर हैं वो ऐसे माँ के सपूत
सुला देंगे तुमको बना कपूत
मत भूलो इस धरा के वीरों को
समाप्त कर देंगे जो तुम जैसो को
नहीं डरते जो किसी ललकार से
मिटा देंगे जो तुम्हें केवल एक हुंकार से।।

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