प्रहर अंतिम है रात्रि का
प्रहार अब हमें करना है
एक क्षण के लिए भी अब
अर्थ नहीं जानना चित्कार का
यूद्ध का उदघोश हुआ है
वीरों के बलिदान से
करना है अब अंत इसका
आतंकियों की रक्तिम छाप से
ब्रह्मा मुहूर्त का बिगुल बजेगा
विजय के शंखनाद से
वीरों का सम्मान होगा
शत्रु की पराजय से
शत्रु को तुम परास्त करोगे
खड़ग कृपाण कटार से
विजय तुम नारा लगाना
वन्दे मातरम की हुंकार से।।