Month: May 2016

पथिक

चला जा रहा अपने पथ पर अनभिज्ञ अपने ध्येय से जो मोड़ आता पथ पर चल पड़ता पथिक उस ओर विडम्बना उसकी यही थी न मिला कोई मार्गदर्शक अब तक केवल चला जा रहा था अज्ञानी एक पथभ्रष्ट सा हर पथ पर खाता ठोकर हर मोड़ पर रुकता थककर किन्तु फिर उठता चलता अज्ञानी एक …

सूखा आज हर दरिया

सूखा दरिया सूखा सागर ख़ाली आज मेरा गागर सूखे में समाया आज नगर हो गई सत्ता की चाहत उजागर बहता था पानी जिस दरिया में आज लहू से सींच रहा वो धरा को अम्बर से अंबु जो बहता था आज ताप से सेक रहा वो धारा को सूखा आज ममता का गागर सूखी हर शाख़ …