Month: June 2016

तू

तू जब गुलाब सी यूँ खिलती है मैं भँवरा बन वहीं मँडराता हूँ  तू जब जाम से छलकती है  मैं वहीं मयखाना बसा लेता हूँ तू जब कहीं खिलखिलाती है  मैं वहीं अपना घर बना लेता हूँ जीवन के लम्बे इस सफ़र में तुझे मैं हमसफ़र बनाए जाता हूँ तू भले अपना राग गाती है  …