Contemporary Poetry Poems - Hindi तू By Mayank Trivedi on Wednesday, June 22, 2016 तू जब गुलाब सी यूँ खिलती है मैं भँवरा बन वहीं मँडराता हूँ तू जब जाम से छलकती है मैं वहीं मयखाना बसा लेता हूँ तू जब कहीं खिलखिलाती है मैं वहीं अपना घर बना लेता हूँ जीवन के लम्बे इस सफ़र में तुझे मैं हमसफ़र बनाए जाता हूँ तू भले अपना राग गाती है …