झुक कर चलना सीखो

मधुकर को मधु पीने से
कभी मधुमेह नहीं होता
मधुर भाषा में वार्तालाप से
कभी किसी को रंज नहीं होता
कभी किसी के मुख पर
सच बोलने से
रिश्तों के मायने नहीं बदलते
बदलते हैं तो केवल
मानव के विचार विस्मित होने को

मधुकर को मधु पीने से
कभी मधुमेह नहीं होता
कहीं कभी झुकने से
मानव का कद छोटा नहीं होता
होता है यदि कुछ छोटा
तो होता है विचारों का कुनबा
संकीर्णता विचारों के चलते
किसी का विकास नहीं होता

जीवन में झुक झुक चलने से
कोई मलाल नहीं होता
समय के सामने ना झुकने से
समय पर प्रहार नहीं होता
समय स्वयं बलवान है
कभी वाही जतलाएगा
जितना तुम उससे अकड़ोगे
उतना नीचे तुम्हें ले जाएगा

स्मरित केवल इतना कर लो
के तीर चलने को कमान पीछे हटती है
तोप का गोला दागने पर
तोप भी पीछे हटती है
मंदिर में नमन करते हो तुम झुककर
लेकिन मानवता के आगे झुकने को
तुम हुंकारते हो अकड़कर
फिर भी झुक कर चलने वालों की
जीवन में कभी हाट नहीं होती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *