मैं शिव हूँ, शिव् है मुझमें
ये राष्ट्र मेरा शिवाला
हाँ हूँ मैं शिव और शिव है मुझमें
पीता आया हूँ बरसों से मैं हाला
एक युग बीत गया तपस्या में
फिर भी नरसंहार हुआ है
एक युग हुआ मेरे आसान को
फिर भी विनाश नहीं है थमता
क्या भूल गए तुम मुझको
यदि पी सकता हूँ मैं हाला
यदि पी सकता हूँ विष का प्याला
तो तांडव भी मेरा ही नृत्य है
जब जब जग में हुआ अँधेरा
जब जब किया पिशाचों ने नृत्य
धुनि से अपनी मैं उठ कर हूँ आया
तांडव कर त्रिशूल को रक्त है पिलाया
मत बूझो मुझसे मृत्यु की पहेली
मत भूलो मेरे त्रिनेत्र की होली
मैं शिव हूँ और शिव है मुझमें
भोला हूँ किन्तु संहार बसा है तांडव में॥