विमुद्रीकरण पर सिकी राजनीति की रोटी

विमुद्रीकरण किस प्रकार चिंता जनक है 
कि विमुद्रीकरण की कतार में हुई मृत्यु 
एक राजनितिक पहलू बन जाता है 
बिना किसी पुष्टिकरण है 
पत्राचार का एक बन जाता है 

इन बुद्धिजीविओं से विनती है 
यदि तुम चाहते हो ऐसे ही विषय 
तो जरा ध्यान लगाना दक्षिण में 
कुछ वहां भी सिधार गए है 
अम्मा के निधन के समाचार से 

कुछ इन पहलुओं पर भी करना विचार 
कि होते है निधन के और भी कारक 
और यदि विमुद्रीकरण है कारक 
तो हर वह कारक निधन का 
जड़ से समाप्त करने की करो तुम मांग 

क्या इससे पहले कभी कोई कतार में नहीं लगा 
क्या नहीं हुआ निधन किसी का किसी कतार में 
अरे बुद्धिजीविओं, क्यों जाते हो भूल 
जाने कितने ही सिधार गए है राशन की कतार में 
कभी तुमने वहां तो स्वरोच्चारित नहीं किया 

जाने कितने सिधार गए कहीं किसी कतार में 
नहीं सुनी मैंने कहीं मांग 
उस कटारट के कारक को समाप्त करने की 
आज क्या योजन है की अकस्मात ही 
सारे बुद्धिजीवी जाग उठे 

कहीं किसी का निधन एक शुन्य सा लगता है 
कहीं किसी परिवार में जब अपना सिधार जाता है 
ऐसे पहलुओं पर जरा तुम विचार करना 
अपनी राजनीति की रोटी सेकने तुम 
किसी मृत की चिता पर मगरमच्छ के आंसू ना बहाना।।

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