Month: May 2018

अंतर्मन की ज्वाला

अंतर्मन में बसी है जो ज्वाला ढूंढ रही है बस एक मुख इतने वर्षों जो पी है हाला बन रही है अनंत दुःख नागपाश नहीं कंठ पर ऐसी जो बाँध दे इस जीवन हाला को प्रज्वलित ह्रदय में है ज्वाला ऐसी बना दे जो हाला अमृत को ज्वाला जब आती है जिव्हा पर अंगारे ही …