सफलता के साधक

क्या तुम सोचते हो क्या चाहते हो
कभी किसी कदम पर क्या पाते हो
जीवन के पथ पर किस और जाते हो
हर पल जो करते हो वही पाते हो
अथक प्रयन्त कभी निरर्थक नहीं होते
फल की आशा से कभी स्वप्न नहीं बुनते
निरंतर प्रयास ही सफलता का साधन हैं
असफलता के द्वार कभी आस नहीं छोड़ते
कथनी से करनी बड़ी होती है
अभी करनी को कथनी के सुपर्द नहीं करते
निरर्थक मान प्रयन्त कभी अधूरे नहीं छोड़ते
कभी किसी के प्रयत्नों का अपमान नहीं करते
क्या तुम चाहते हो क्या पाते हो
जीवन के पथ पर किस और अग्रसर होते हो
निष्चय यह तुम्हारे प्रयत्न करते हैं
कभी प्रयत्नों को अधूरा नहीं छोड़ते
कथनी को करनी पर कभी हावी नहीं करते
अपनी सोच को कभी ऋणात्मक नहीं करते
अग्रसर होना है यदि जीवन में
असफलता के द्वार पर कभी आस नहीं छोड़ते

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *