Month: January 2019

निद्रालिंगन

निशा के प्रथम प्रहर से प्रतिक्षित हैं किंतु निद्रा हमें अपने आलिंगन में लेती नहीं कविता की पंक्तियों में जब खोना चाहें तब कविता की कोई पंक्ति कलम पर आती नहीं किससे कहें और क्या कहें कि अब तो शब्दावली भी साथ निभाती नहीं निद्रालिंगन में जितना हम जाना चाहते हैं निद्रा हमें अपने आलिंगन …

पथभ्रष्ट

भ्रष्ट तुम मुझे कहते हो  अपनी लीला जब करते हो  क्यों भूल जाते हो अपनी करनी  जब भूखों को रोटी नहीं देते थे  जब देश में था चोरो का राज  जब कर्मचारी नहीं करते थे काज  कर्जे में डूबा था हर कण  देश खो रहा था प्रगति का रण  भ्रष्ट तुम मुझे कहते हो आज  जब …