इष्ट को नमन

ज्वाला हृदय की क्षीण ना करना
शिव के रौद्र रूप को ना भूलना
दुःख किसी का क्या हारोगे
निमित बन मात्र अपना कर्म करोगे
शिव ने तुमको भेजा है जग में
दे डोर तुम्हारी कृष्ण के हाथों में
बिन शिव बिन कृष्ण
उठा नहीं सकते एक छोटा कण
निमित्त हो मात्र कर्म करो
अपने जीवन को सार्थक करो

प्रचंड है रूप शिव का
प्रखर है तेज कृष्ण का
प्रबल है प्रताप चण्डी का
आभा जिसकी मिटाती है पीड़ा
करता है हृदय भी अपनी क्रीड़ा
राम नाम जप लीन हो ब्रह्म में
विलक्षण अलख जगा अपने चित्त में
बन बलशाली कर हनुमान भक्ति
प्रार्थना कर मिले उज्ज्वल शक्

अलख जगा तू अपने अंतर्मन में
शिव को जगा अपने अंतर्मन में
भक्ति की शक्ति को जानो
शिव के प्रताप को सर्वस्व मानो
लोभ लाभ से परे हटकर
भोग विलास को तजकर
वैरागी तुम भी बन जाओ
अपने हृदय में शिव को बसाओ

कृपा तेरी हे महादेव
बनी रहे हमपर सदैव
तार दिये कष्ट तुने बंधुओं के
दिये पल उन्हें अनहित के
चमत्कार दिखा प्रभु अपना
मान ली तुने हमारी प्रार्थना
स्वस्थ उन्हें अब रखना
उन्हें अपना वर तू देना

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