डियर ज़िन्दगी तू बेशक हमें नचा
लेकिन कुछ गाने तो अच्छे बजा
कि तरानों में तेरे हम खो जाएँ
बेशक हम मदहोश हो जाएँ!!
ज़िंदगी बोली फिर हमसे
तुम मेरी धुन पर नाचते हो कबसे
गानों की तो यूँ फ़रमाइश करते हो
कभी उनमें डूबी धुन भी सुनते हो?
इन तरानों की तुम बात भी मत करना
तुमको तो बस आता है बहकना
नाचोगे ग़र तुम मेरी धुन पर
जियोगे तुम मुझे खुलकर!!
धुन मैं कितनी भी अच्छी बजाऊँ
तुम बस सोचते हो अपना रोना रोऊँ
कभी खुलकर मुझे गले लगाना
फिर मेरे इन तरानों पर तुम थिरकना
कभी खुलकर मुझे गले लगाना
फिर मेरे तरानों पर तुम थिरकना
यूँ अब तुम ना कभी यूँ रोना
दिल खोलकर तुम मुझे ही जीना