नीले अम्बर में पंख पसार
मन के सपनों को ले उधार
चल पड़ो राहों की ओर
रोक न पाए कोई भी ठौर
धूल भरी हो चाहे राह
हर मोड़ पर हो चाहे आह
दिल में जला लो आशाओं का दीप
न हो कोई मंशा अधूरी अधीप
हवा हो तेज, या हो अंधियार
संबल रखो, न हो लाचार
हर सुबह लाए नई पहचान
बस उड़ते रहो, हो ऊँची उड़ान
खुली पुस्तक सा है जीवन
जियो इसे जैसे हो स्वप्न
हर पृष्ठ कहेगा अपनी कहानी
गंतव्य की हो यात्रा सुहानी