ना हालात ना ही आसार मेरी ज़िंदगी है
कि ज़िन्दगी नहीं बनती इनसे मुक्कमल
तासीर इनकी मिलती जरूर ज़िन्दगी में
लेकिन ज़िन्दगी इनकी मोहताज़ नहीं
चलें हम ज़माने के साथ कभी
या कभी ज़माना चले साथ हमारे
ज़िन्दगी में इसका अहम इतना नहीं
जितना है हमारी ज़िंदगी का हमारे लिए
सोचते हैं अक्सर हालात यूँ न होते
की अभी आसार भी ऐसे ना बनते
ज़िन्दगी हमारी भी आसाँ होती
लेकिन कुछ और भी तो हालात होते
बस अब इतना ही इल्म है हमको
कि हालात कहो या कहो आसार
तज़ुर्बा यही कहता है ऐ ज़िन्दगी
कि कयामत तक ही है तेरा सफर।।