कैसे करे अब स्वयं को चैतन्य

आज की समय में कौन अपना है कौन पराया
कैसे पहचान करें किसमे राम किसमे रावण समाया
कैसे स्वयं को कोई चैतन्य करे
जब भगवान का मोल भी यहाँ पैसों में धरे
नहीं मिलता बिन माया के कुछ संसार में
बिन माया अपने भी दिखाते हैं बेग़ानो में
कैसे करे अब स्वयं को हम चैतन्य
कि अब रहते हैं रिश्तों की क़ब्र में
कहाँ जाएँ हम ढूँढने अपनों को
कि बिन माया अपने भी दिखाते हैं बेग़ानो में

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