जीवन द्विविधा

कहने को बहुत कुछ था
लेकिन सुनाते किसको
जिन्हें जीवन का आधार समझा
उन्होंने हमें कभी ना समझा

जिस दर पर आज हम हैं
उस दर को खोलेगा कौन
जिस राह हम चल रहे हैं
उसपर राहगुज़र बनेगा कौन

कहने को बहुत कुछ था
किन्तु आज सुनेगा कौन
करने को भरोसा तो है
किन्तु हमपर भरोसा करेगा कौन

इष्ट को अपने हम पूजते हैं
किन्तु हमारा इष्ट है कौन
जिसे जीवन की डोर सौंपी थी
उसे हमारा बनाएगा कौन

कहने को बहुत कुछ था
किन्तु उन्हें बताएगा कौन
संग उनके रहना चाहते हैं
किन्तु उन्हें मनाएगा कौन!!

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