जय जय है माँ दुर्गे
जय जय है जगदंबे
तेरा ही आज मैं जप करूँ
तेरी ही आज में आरती करूँ
तज मोह आज संसार का
मैं तेरी ही अब भक्ति करूँ
जय जय है जगदंबे
जय जय है मात भवानी
अनुकंपा तेरी बस बनी रहे
जीवन में तेरी शक्ति रहे
सांसारिक मोह त्याग कर
मैं अब तेरी ही भक्ति करूँ
जीवन में अब तेरी ही भक्ति रहे
संसार पर तेरी ही अनुकंपा रहे
अब में साँझ सवेरे
तेरी ही माला जपता रहूँ
सांसारिक मोह को त्याग कर
अब तेरी ही मैं भक्ति करूँ