हर हर महादेव जय शिव शम्भो
बिगड़ी बना हर वर दे हमको
जिस पाताल में आज है धरा
जिस पाताल में है अथाह विश भरा
उस पाताल से धरा को तू निकाल
एक बार फिर आज बन तू त्रिकाल
हर हर महादेव जय शिव शम्भो
बन त्रिकाल पाप मुक्त कर तू धरा को
उठा त्रिशूल कर तू संहार आज
विकट रूप धर कर तू ये काज
सागर मंथन का विश पिया जो तूने
आज धरा को उस विश से मुक्त करा
हर हर महादेव जय शिव शम्भो
बन त्रिकाल तार आज धरा को