आरक्षण की मांग पर जल रहा,
राष्ट्र का कोना कोना
रोती बिलखती जनता को
देख रहे नेता तान अपना सीना
आरक्षण की अगन में पका रहे
राष्ट्र नेता अपनी रोटी
बन गिद्द नोच नोच खा रहे
जनता की बोटी बोटी
रगों में आज लहू नहीं
बह रही है जाति
आदमी की भूख रोटी की नहीं
हो गई है आरक्षण की आदि
पहले देश बाँटा धर्म के नाम पर
अब बाँट रहे बना जाति की पाँति
राष्ट्र एकता को ताक पर रखकर
नेता भर रहे अपना घरबार
कोई बताये इन नेताओं को
क्या है आरक्षण का दानब
आरक्षण आतंकवाद का प्रारूप है
रोकता है राष्ट्र का प्रगति पथ
आतंकवाद है आज राष्टृ में
धर्म के बँटवारों से
आरक्षण यदि फैला उसी गति से
तो आतकंवाद उपजेगा सत्ता के गलियारों से
अभी भी समय है जागने का
जातिवाद आरक्षण को त्यागने का
पहले बांटा राष्ट्र धर्म के नाम पर
अब बांटने चले धर्म को जाति के नाम पर