आधी रात में न्यायपालिका खुली

आधी रात में न्यायपालिका खुली 
लगी न्याय की बोली 
जनता वहां सो रही थी
खुली यहाँ  न्याय की पोथी 
एक आतंकी को बचाने 
आये धर्मनिरपेक्ष नाटक रचाने 
कितना धन कितना परिष्श्रम 
वो भी एक हत्यारे बचाने
यदि यही कर्म करने हैं 
तो खोल दो न्याय द्वार 
चौबीसों घंटे खोलो वो पोथी 
करो हर घडी हर पल न्याय 
अच्छे दिन आएँगे कहकर 
लगाईं थी तुमने पुकार 
अब उसको बनाकर हुंकार 
करोड़ो को दिलवाओ न्याय 
एक आतंकी के लिए जब 
खुले आधी रात को द्वार 
 मत बंद करो तुम उनको 
दो एक सा व्यवहार सबको 

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