हर इंसा आज यहाँ है तन्हा

तुम भी तन्हा हो हम भी तन्हा है
और नज़ारा देखो दुनिया का
हर इंसा यहाँ तन्हा है
हादसा है ये ज़िन्दगी का
हर इंसा खुद में ही तन्हा है 
मुक़द्दर देखो इस इंसा का
तन्हा इसने गुजारी ज़िन्दगी
तन्हा ही मिली मौत भी इसे
घुमा ये तन्हा हर गली हर गुचा
फिर भी इसे हम तंहार न मिला
हर इंसा आज यहाँ तन्हा है
हर मोड़ पर बसती तन्हाई है
अनमोल है आज साथ हमसफ़र का
हर जर्रे पर तन्हाई बसती है
हर मोड़ पर तन्हाई बसती है
कहाँ गया वो ज़ालिम ज़माना
जिस रोज़ तन्हाई तरसती थी
आज देखो ज़िन्दगी तन्हाई में तरसती है
हादसा है ये ज़िन्दगी का 
हर इंसा आज यहाँ है तन्हा||

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