उडी जो जुल्फें तेरी
मदहोश कर गईं
मिली जो नज़रें तेरी
गुमराह हमें कर गईं
सांसों की तेरी महक
हमारी तन्हाई ले गई
लबों पर थिरकती मुस्कराहट
हमें दिवाना कर गई
ना अब दिल को चैन है
ना रूह को है आराम
यादें तेरी बन एक जज्बा
हमारा इम्तिहान ले गई
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आपकी इस रचना को आज दिनांक २२ मई, २०१४ को ब्लॉग बुलेटिन – पतझड़ पर स्थान दिया गया है | बधाई |
यादें ऐसी ही होती हैं।
यादें ईश्वर की दुआ सी लगती हैं ….