सत्ता का सच

बहुत खुश हो लिए
बहुत कर किया गुणगान
कुछ दिन और रुक जाओ
उसके बाद करना बखान

पंजा कसो, कमल उठाओ
या हाथी की करो सवारी
साइकिल से यात्रा करो
या कहो झाडू की है बारी

चाहे कुछ कर लो तुम जनता
नहीं बदलना इस राष्ट्र का भाग्य
जिस दल में तुम झांकोगे
भ्रष्टों का ही अम्बार मिलेगा

आज ये नेता देते करोडो
पाने को चुनावी टिकट
कल ये ही नेता सत्ता में आकर
चूसेंगे करोड़ों राष्ट्रीय धरोहर से

कहते होगा विकास देश का
देंगे सबको आर्थिक सहायता
देखना वाही अर्थ अब होगा सिद्ध
जब भरेंगे पहले इनके चौबारे

नहीं कोई नेता सच्चा
नहीं सच्चा कोई दल
हर और धांधली फ़ैली है
कर रहा भ्रष्टाचार तांडव

देश के विकास के नाम पर
नग्न हो फिर रहा किसान
हर नागरिक होकर हताश
पीता फिर रहा हलाहल||

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