चंद मुक्तक

राजनीति के अखाड़े में मिले कुछ नेता
मिल कर वो बन गए देश के क्रेता
कहते हैं आज वे खुद को भारत माँ के पूत
घोटालों का नाम ले बन गए अशांती के दूत||
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काल का ग्रास बना है आज मेरा देश
दानव घूम रहे यहाँ ले कर मानव का भेष
हर ओर आज फैला रहे वे घोर क्लेश
निकाल रहे मानवता से वो अपना द्वेष||
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जीवन में एक समय था जब कोयले से जलता था चूल्हा
आज विवाह में माँग रहा कोयला देश का हर दूल्हा
था एक समय जब देश में था चलता राज तंत्र
आज समय के चक्र में चलता है सिर्फ भ्रष्टाचार का यन्त्र||

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था एक समय जब था मेरा देश महान
आज देश का नागरिक है सिर्फ नेताओं का जजमान
बाँट दिया है देश को राज्य, भाषा और धर्मं से
नहीं जाना जाता एक भी नागरिक अपने कर्म से||

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खेलों में शीर्ष स्थान दिलाता है धन और धान्य
चौकों और छक्को से होती धनवर्षा
सीमा पर गोलियों से जब होता छलनी जवान
उसके घर में होती है सिर्फ फांकों की हर्षा||

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