शुक्र अदा करते हैं आपकी नजाकत का
कि दिल ही दिल में मोहब्बत तो करते हैं
मगर इकरार-ऐ-मोहब्बत का पैगाम
आप अपनी नज़रों से भिजवाते हैं
शुक्र अदा करते हैं आपकी नज़रों का
कि नज़र-ऐ-इनायत तो करती हैं
हया के परदे में छुपा आपकी चाहत को
एक इकरारनामा भिजवाती हैं
शुक्र अदा करते हैं आपकी हया का
कि आपकी खूबसूरती को बेपर्दा नहीं करती
हया के बहाने ही सही
आप खुदा की बंदगी तो करती हैं
शुक्र अदा करते हैं आपकी नजाकत को
शुक्र अदा करते हैं आपकी हया को
कि आपकी हया इश्क के लफ़्ज़
नजाकत भरी निगाहों से बयां करती है||