आशियाँ

तिनका तिनका जोड़ आशियाँ जो बनाया था
तेरी जुल्फों के साये में जिसे सजाया था
अपने खून-ऐ-जिगर से जिसे बनाया था
वो आशियाँ सरे राह बेज़ार हो गया
कि सरे राह तू क्या मिली आज
तेरे दीदार से फिर भी ये दिल नाखुश था
नज़रें तेरी उठी तो हमारी ओर
पर उनका रुख हमारी ओर ना था
तिनका तिनका जोड़ आशियाँ जो बनाया था
तेरी बेरुखी के साये में आज पड़ा है
तेरी निगाहों के इकरार से जो बनाया था
तेरे दीदार के तसव्वुर में कहीं खड़ा है
कि खता थी हमारी ही शायद कोई 
नादान परिंदे कि तरह कैद हो गए हम
पैगाम था शायद तेरा कुछ और ही
पैगाम-ऐ-मोहब्बत हम जान बैठे
तिनका तिनका जोड़ आशियाँ जो बनाया था
तेरी जुल्फों के साये में जिसे सजाया था
अपने खून-ऐ-जिगर से जिसे बनाया था
वो आशियाँ सरे राह बेज़ार हो गया

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