Poem - Urdu चाहत By Mayank Trivedi on Monday, April 19, 2010 गर हम दिन के पहलु में बैठेंया रात के आगोश में समां जाएंशाम-इ-सनम हमें न मिल सकेगीदीदार-इ-सनम न हो सकेगागर चाहत सनम कि है दिल मेंशाम का पहलु ना छूट सकेगा Previous Post Next Post Related Posts Contemporary Poetry Poem - Urdu Poems Poetry Sarcasm क्या कहें और कैसे कहें Abstract Poems Contemporary Poetry Poem - Urdu Poems Poetry अभी कुछ दिन ही तो बीते हैं Contemporary Poetry Poem - Urdu Urdu Poems रूह के ज़ख़्म
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Wah, kya baat hai…kya khoob likha hai