खामोशियाँ

खामोशियाँ मेरी पहचान है  कहीं दूर लफ़्ज़ों की दूकान है  पथ्थर से सर्द आज मेरे होंठ हैं  जुबां भी अब बेजान है  ये ज़िन्दगी जिस मोड़ पर है  खामोशियों में ही मेरी आवाज़ है  दफ़न है आज दर्द भी  हर मोड़ पर तेरी याद है  खामोशियाँ आज मेरा अक्स हैं  खामोशियों से ही मेरी पहचान …

कलाम को आखिरी सलाम

खुशनुमा जहाँ को जो कर गए  अवाम के पास अपना जो नाम छोड़ गए  खुदा  के उस बन्दे को सलाम  ए पी जे अब्दुल कलाम को मेरा सलाम  दुनिया में जो भारत की साख बना गए  अपने कर्मों से जो भारत का नाम कर गए  उस हस्ती को मेरा सलाम  ए पी जे अब्दुल कलाम …

कुछ तो लोग कहेंगे

कुछ तो लोग कहेंगे  जोक्स से वो जरूर चिढ़ेंगे  उनको तो बस करना है मनमानी  बद्तमीजी है उनको करनी  क्या खुद कहते हैं क्या खुद करते हैं  उससे बेपरवाह रहते हैं  लेकिन दुनिया में कहीं कोई कुछ करे  तो उसपर ऐतराज़ करते हैं  खुद दुनिया को कहें अपशब्द  तब खुद का बड़प्पन मानते हैं  वहीँ …

बेटी

ये कैसा राष्ट्र है मेरा ये कैसा देश है मेरा जहाँ सोना है माँ की गोद में छुपना है माँ के आँचल में और खाना है माँ के हाथ से पर बेटी से नहीं भरना घर ये कैसी सोच है हमारी ये कैसा समाज है हमारा जहाँ राखी बांधने को बहन चाहिए साथ खेलने को सखी …

अम्बा स्तुति

ॐ नमो भगवती भार्गवि  माँ जगदम्बा नमो नमामि  जय जय हे दुःखहरणी  जय जय हे सुखकरणी  नमो नमः शैलपुत्री  नमो नमः दुर्गा कल्याणी  जय जय हे अम्बे गौरी  जय जय हे काली कात्यायनी  नमो नमः ज्योत्सना किराती  नमो नमः चण्डिका महागौरा जय जय हे देवमात्रे पार्वत्यै  जय जय हे धर्मज्ञानायै धर्मनिष्ठायै  जय अम्बे अम्बालिके  अहोशनी  …