चंद तकल्लुफ भरे पैगाम

कुछ शेर कभी कहीं सुने या पढ़े थे| ठीक से याद तो नहीं, पर सोचा कि कुछ चलते फिरते शायरों कि चलते फिरते पैगाम की तरह इन्हें भी आपके सामने पेश किया जाए|  हालांकि मैं खुद इनसे वाकफियत नहीं रखता, लेकिन फिर भी जरा मुलाहिजा तो फरमाइये कि चुनिन्दा शेर ऐसे भी कहे जाते हैं …

आग से ना खेल

आग से ना खेल इतनाकि दिलों में आग लग जाएकि दिलों में गर आग लगी तो जिंदगी में रोनक ना होगीगर जलने का इतना शौक है तो जल एक परवाने की तरहदेख उसके गम में शमा भी जलती है तिल तिल कर

कविताएँ

मेरी कविता की पक्तियांकरती हैं जीवन वर्णनसार है इनमें जीवन काये हैं मेरे जीवन का अभिन्न अंगइनसे कैसे में दूर रहूँकैसे तोडूं में इनसे नाताजब जी भर आता है मेरातब साथ इन्ही का मिलताना मुझ बिन ये हैं इस जग मेंना बिन इनके मेरा कोई अस्तित्वछोड़ चाहे में जग दूं कभीये रहेंगी जग में बनकर …

हम उस देश के वासी हैं

हाथों की सफाई रहती है जहाँ दिल में केख पुती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में महंगाई रुलाती है नेता जो हमारे होते हैं वो जान के भूखे होते हैंवोट का लालच है उनको  जात का बटवारा करते हैंहमारे लिए जो भारत माँ सदियों से सभी कुछ …

वो लम्हात

मयंक की एक उर्दू पोएम –———————————–कैसे कहें ये कहानी हम अपनी जुबानी कुछ ऐसी ही बीती है हमारी जिंदगानी करते रहे हम सजदा उनका हर कदम सोचते रहे वो बनेंगे हमारे हमदम शायद था वो कोई ख्वाब एक सलोना बना गया हमें इश्क में ही दीवाना सवालात भी किये ज़माने ने हमारी तन्हाई पर कि …

कविता – An Old Poem from Mayank

मयंक ने शायद 1999 में ये कविता मुझे सुनाई थी| आज कुछ पुराने पन्नों से वो सामने आई तो सोचा मयंक की कविताओं के इस समूह में उसे भी जोड़ दूं – कविता तुम पर क्या कविता लिखूँकि  तुम खुद प्राकृतिक कविता होतुम्हारी सादगी और शालीनता नेतुम्हारे सौंदर्य को और भी निखारा है|| उस पल …

म्हारा घर आवजो

घणी राह देखी आपरी घणी बाट जोईकटे ढूँढू असो जग जो आपे फरमाईना असो जग कठे मलिए ना आप पधारोअरे म्हारा भाई सा अठे यो रूप ना धारो एक आप म्हारी फरमाइश सुनता जाजोजो जग मा जी ना लागे आपरो आजसोजो भावे ना आपरे मिजाज दोस्तां रोएक बार, बस एक बार म्हारे घर आवजो चोखट …

माफीनामा / Apologies

जिंदगी कि जद्दोजहद में इस कदर उलझेकि गम-ऐ-उल्फत में लफ्ज़ बेजार हो गएमोहलत कुछ दिनों की गर मिल जाएतो आपसे हम फिर रूबरू होंगे Lost out in the world in such a fashion that the words have dried up.  Apologies, but if I get time out for sometime, I would surely be back here….

मंजिल-ऐ-जिंदगानी

तेरी तन्हाई में भी मेरा साया तेरे साथ हैगर नज़र उठाए तो देख मेरा अक्स तेरे साथ हैना तू कर गिला उनसे अपने गम-ओ-उल्फत काना कर तू शिकवा जिंदगी केदोराहे काउठ ऐ मुसाफिर तू चलाचल राह अपनीकि  तेरी मंजील तक ये बंदा तेरे साथ है शिद्दत से जिस जिंदगानी की तुझे तलाश हैउस मंजिल तक …