कोई बादर गरजे, कहीं बिजुरिया चमके जब तेरा कंगना खनके अंगना मेरा महके, चिड़िया वहां चहके जब पायल तेरी छमके झुमका तेरा मचाये शोर बिंदिया तेरी उड़ाए निंदिया अधरों पर तेरी गुलाब सी लाली नैना जैसे हो काजर से काली गजरे से तेरे उठी वो महक ह्रदय भी उससे गया चहक ना कोई बदरा ना कोई बिजुरिया …
ॐ हर हर हर महादेवाए नमः ॐ प्रभु अव्यग्राय नमः हरि हर अव्यक्ताय नमः ॐ हरि हरि हरि ॐ शिवाय नमः तू आदि है तू ही अंत है तू ही मूरत तू ही लिंग है तुझसे ही जग हैतुझमें ही जग है विनाशक है तू रचयिता भी तूमानव के मश्तिष्क सेदानव के अंतर्मन मेंबसा है …
अजहुँ ना आये चैना, काहे बीती ये रैना बलम मोरे कहाँ खोये, सूनी बीती ये रैना बोले पपीहरा, नाचे मयूर, कैसे बिताऊं मैं रैना हाय सुनी सुनी बिताऊं मैं कैसे ये रैना
कल्पना मेरी जीती है शब्दों में शब्दों से हूँ मैं खेलता कल्पना में नहीं जी सकता मैं जीता हूँ कल्पना अपनी शब्दों में जीवन कल्पना नहीं एक सच है कल्पना में जीना नहीं है मुझे शब्दों को पिरो मैं लिखता हूँ वर्णमाला से गीत बनाता हूँ शब्दों में मेरे एक सच है जीती है इनमें …
कलह अंतर्मन का कहता है मेरी सुन हृदयालाप कहे तू मेरी सुन मष्तिष्क में भी मचा है कोलाहल नहीं है स्थिर जीवन, पनप रहे उग्र विचार नहीं चाहता जीवन में कोई अल्पविराम नहीं चाहता कोई जीवन में स्थिर कोलाहल किन्तु जीवन फिर भी है अस्थिरजीवन में फिर भी है एक कलह हलाहल जीवन की मैं पी चुका कोलाहल फिर भी मिटा नहीं जीवन …
विमुद्रीकरण किस प्रकार चिंता जनक है कि विमुद्रीकरण की कतार में हुई मृत्यु एक राजनितिक पहलू बन जाता है बिना किसी पुष्टिकरण है पत्राचार का एक बन जाता है इन बुद्धिजीविओं से विनती है यदि तुम चाहते हो ऐसे ही विषय तो जरा ध्यान लगाना दक्षिण में कुछ वहां भी सिधार गए है अम्मा के …
Some call it demonization Some call it normalization When I looked at it It seemed to be Demonetization That was the day to remember When color of money became amber Though it was black of white With recall it lost its shine Jobs were lost expenses were tight Make ends meet was tough to abide …
आज की समय में कौन अपना है कौन परायाकैसे पहचान करें किसमे राम किसमे रावण समायाकैसे स्वयं को कोई चैतन्य करेजब भगवान का मोल भी यहाँ पैसों में धरेनहीं मिलता बिन माया के कुछ संसार मेंबिन माया अपने भी दिखाते हैं बेग़ानो मेंकैसे करे अब स्वयं को हम चैतन्यकि अब रहते हैं रिश्तों की क़ब्र …
Did you ever hear the voiceThe voice of LoveDid you ever hear the language The language of Love Did you ever witness that communicationThe communication of LoveI’ll bet, No is the answerFor the Love is never defined in words The Game of Love is always playedOn the turf of HeartsWhere some win some lose But …
इस दुनिया में दर्द और भी हैकहीं भीड़ में एक दर्द और भी है हर ओर मैं देखता हूँ दर्द का मंज़रकि इस दर्द में तड़पे परवाने और हैं दर्द किसका क्या है, इल्म नहीं मुझेलेकिन दिखती दुनिया दर्द से सराबोर है हर मोड़ पर सोचता हूँ मिलेगा मेहरबाँ कोईकि महकाएगा इस ज़मीं को सुर्ख …