वक़्त नहीं

आज के दौर में हर किसी को बहुत कुछ पाने कि चाह है और इस चाह में उन्हें अपनों का ध्यान नहीं, ना ही उनके पास वक़्त है अपनो के लिए| इस कविता में कवी ने उसे बड़े ही नायब तरीके से ज़ाहिर किया है| ये कविता किसने लिखी ये मुझे इल्म तो नहीं, लेकिन …

उनका नशा

उनका नशा है कि छुटता नहींकदम हैं कि रुक कर उठते नहींन उन्होंने हमें यूँ मुड के देखान हमनी कभी संभल कर चलना सीखाराह तकते उनकी झरोखों में दिए जलाया करते हैंभूलकर कि हवा के झोंकों से दिए नहीं जला करतेखून कि रोशनाई बना कर लफ्ज लिखे थे ख़त मेंकि तूफ़ान में वोह लफ्ज भी …

शत शत नमन है उस वीर को – Tribute to the Heros of 26-11

शत शत नमन है उस वीर कोजीवन जिसने अपना बलिदान कियामातृभूमि के सम्मान मेंसर्वस्व अपना त्याग दियानिडर निर्भीक हो करशत्रु पर उसने वार कियाविजय की और अग्रसर होइसी सोच का आलाप कियाशत शत नमन है उस वीर कोमातृभूमि की रक्षा मेंजिसने जीवन का परित्याग कियाअभिनन्दन है उस वीर कोरक्त से अपने विजय तिलक जिसने मातृभूमि …

कशमकश

सोचते हैं अक्सरकि कुसूर क्या है हमारायूँ क्यों होता है दर्द दिल मेंकहते हैं फलसफा ज़िन्दगी काआज जब कहा उनसेकि दिक्कते यूँ पेश आती हैंकह दिया उन्होंने भीवही शिकवा हमसेरुसवा ईन हो गए वोकि मोड़ लिया रुख हमसेसोचा न एक पल कोकी हम कहाँ जाएंगेछोड़ हमें चले वो राह अपनीना जाने कब आएँगेज़िन्दगी तुझसे क्या …

युद्ध का उदगार

प्रखर प्रभद्ध ललाट पर रक्तिम तिलक की छाप हैयुद्ध को अग्रसर वीर अश्व पर सवार हैहाथ में लिए वो खडग, कृपाण, कटार है नेत्रों के उसकी मातृभूमि का सम्मान है मस्तक पर उसके रणविजय का प्रताप हैकालसर्प सी लहराती उसकी तलवार हैकटार पर उसकी विजय की धार हैबाजुओं में लिए विजय का प्रमाण है धरा …

वर्षा ऋतू में जीवन का श्रृंगार हुआ

वर्षा ऋतू में क्या कहेंजीवन में हुई हलचल हैकाली इन घटाओं को देखतुम्हारी घनी लटों का आभास हुआयूँ बूंदे जब गिरी वृक्षों परतुम्हारे आलिंगन का आभास हुआनाचते मयूर को देखये ह्रदय भी पागल हुआवृक्षों से गिर जब धरती में सिमटी बूँदेंमेरे अंतर्मन में तेरे ही नाम कि पुकार हुईपानी जब पहुँचा धरातल मेंसींचा हर जड़ …