इश्क-ऐ-वफ़ा से वो रूबरू ना हुए कभीऔर हमसे माने वफ़ा के पूछे जाते हैंरूह से अपनी किसी को चाह ना सके वोऔर हमसे मोहब्बत के माने पूछे जाते हैं एतबार वो खुद का ना कर सके ता उम्रऔर हमें माने एतबार के समझाए जाते हैंतसव्वुर-ऐ-दर्द हमारा ना सुन सके कभीऔर हमसे ही अपनी तकलीफ बयाँ …
तुम कहे जाते हो हमें दगाबाज़तुम कहे जाते हो हमें बेदर्दकहाँ का ये इन्साफ है कहो ज़राकि तुम्हारी नज़र का ना हो ये धोखा कहा गर तुमने हमें बेवफातो सिला है ये तुम्हारी ही मोहब्बत काकहा गर तुमने हमें बेगैरततो जान-ऐ-हुस्ना है ये तेरी ही बद्दुआ जाना है गर तुझे अपनी मंजिल की औरतो ले …
जिंदगी गर सोच कर जी सकतेतो विसाल-ऐ-यार दर रोज करतेसोच में गर इतनी ताकत होतीतो इस वक्त तुम हमारे साथ होते तकल्लुफ क्यों करे हम सोचने काजब इन्तेज़ार है फैसले की घडी कासोचने से गर यूँ वक्त बीततातो ये जहाँ में कोई यूँ बेगार ना होता सोचने से गर विसाल-ऐ-यार होतातो हम इस कदर तन्हा …
है धूम चहुँ ओर जिसकीहै जिसका चर्चा हर दिशा मेंलोकतंत्र में है जो महत्वपूर्णआया उस निर्वाचन का समय पांच वर्षों में आता है एक बारऔर जिससे चयनित होते हैंतंत्र पर राज करने वाले नेताजनता का पैसा खाने वाले नेता आते हैं उम्मीदवार बन ये नेताकरते हैं हमको प्रणाम और नमस्कारपर चयनित नेता गायब होते हैंगधे …
तकनिकी रूप में प्रगतिशील है मेरा देशफिर भी विचारात्मक रूप से गरीब है आज विश्व में द्वितीय सबसे बड़ा है येफिर भी गरीबों से भरा है मेरा देश कमी नहीं है धन और धान्य की यहाँकिन्तु जमाखोरों की तिजोरी में भरा हैहैं बहुत सी संपत्ति, धरोहर मेरे देश कीकिन्तु अन्य देशों में जमा है सब …
मैं गरीब बोल रहा हूँऔर मैं विचारों से गरीब हूँमेरी गरीबी पैसों से नहींमेरे अव्यक्त विचारों से है बचपन में अपने मैंनेममता की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरेममत्व पर विचार अव्यक्त हैं पाठशाला में अपनी मैंनेशालीनता की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरेशालीन विचार अव्यक्त हैं महाविध्यालय में मैंनेविध्या की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरे कर्त्तव्य …
ना दो मुझे यूँ ताने, ना दो मुझे गालियाँमैं खुद नहीं जन्मा, अंग्रेज मेरे जन्मदाता हैंबरसों से सत्ता के कमरों में कैद हूँचंद अफसरों का में एक सेवक हूँकूटनीति की चिकनी मिटटी से लिपातुम्हारे ही आलिंगन में सजी एक सेज हूँसदिओं के इस नाते को क्या ऐसे ही छोड़ दोगेएक अन्ना के कहने पर नाते …
काफी दिनों से मन में गुबार थातिरंगे की कहानी का अम्बार थाकि सोचा बहुत कैसे कहूँलेकिन दर्द ऐसा है कब तक सहूँ हुआ कुछ यूँ कि तिरंगा मिला सपने मेंकहानी थी उसकी इतनी सर्दना थी उसमें हद्दअब कैसे सहूँ में ये दर्द तिरंगा खुश होता गरउसे शहीद पर चढ़ाया जाएउसे लाल किले कि प्राचीर पर …