For you I have to be lonely with you also I am lonely Without you also I am lonely Why is it always About you What shall I call you a selfish person for whom I cry alone and spend sleepless nights Or should I call you a self centered person for whom I spend …
अंतर्मन में बसी है जो ज्वाला ढूंढ रही है बस एक मुख इतने वर्षों जो पी है हाला बन रही है अनंत दुःख नागपाश नहीं कंठ पर ऐसी जो बाँध दे इस जीवन हाला को प्रज्वलित ह्रदय में है ज्वाला ऐसी बना दे जो हाला अमृत को ज्वाला जब आती है जिव्हा पर अंगारे ही …
जीवन द्वंद्व में लीन है मानव ढूंढ रहा जग में स्वयं को नहीं कोई ठोर इसका ना दिखाना दूर है छोर, ढूंढने का है दिखावा नहीं किसी को सुध है किसी की अपने ही जीवन में व्यस्त है हर कोई ढूंढ रहा है हर कोई स्वयं को छवि से भी अपनी डरता है हर कोई …
निगाहों में तेरी ज़िंदगी अपनी ढूँढते है जीने के लिए तेरी बाहों का आसरा चाहते हैं दिन कुछ ही गुज़रे है दूर तुझसे फिर भी ना जाने एक अरसा क्यूँ बिता लगता है ज़ुस्तज़ु है मेरी या है कोई आरज़ू कि आँख भी खुले तो तेरी बाहों में और कभी मौत भी आए तो आसरा …
आनंदन नहीं दिखता इनको जो अफ़ज़ल पर रोए हैं राम इनको काल्पनिक दिखता बाबर इनका महकाय है रामायण इनकी है कहानी मात्र किंतु शूर्पणखा एक किरदार है महिसासुर इनको खुद्दार दिखता दुर्गा नाम से इनका क्या पर्याय है राष्ट्र विरोधी कथनो और नारों में दिखती इन्हें अपनी स्वतंत्रता है वन्दे मातरम के उच्च स्वर में …
फ़िज़ाओं के रूख से आज रूह मेरी काँप उठी है कि तनहाइयों के साये में मेरी ज़िंदगी बसर करती है जिनको अपना समझा था वे बेग़ाने हो गए जिनके साथ का आसरा था वही तूफ़ान में छोड़ चले गए की अब तो आलम है कुछ ऐसा कि रिश्तों से ही डर लगता है ढूँढते थे …
Shades of life presented to me The kinds to bend my knee But the bent of my knee Made life to be stung by bee Writing of fate was right there on card Poison of the sting was pretty hard The pain took its toll on my life Felt like my heart was torn apart …
शिव की प्रतिमा बन बैठा हूँ आज हलाहल पीकर भस्मासुर को मैं वर दे चुका आज अपनी धुनि रमाकर समय अब पुकार रहा मुझे है पुकार धुनि तजने की रच मोहिनी अवतार एक बार करना है भस्मासुर पर वार शिव की प्रतिमा बन बैठा हूँ देकर भस्मासुर को मैं वर हलाहल भी पी चुका जीवन मैं …
शिव से पूछो तुम क्या है मुझमें क्यों आज शिव है मुझमें हाला मैं क्या पी आया जग की क्या बन बैठा हूँ शिव की प्रतिमा तन्द्रा ना करो भंग मेरी तुम ना करो मुझसे अब कोई छल कि कब मैं शिव बन जाऊं कि कब मुझमें बस जाए शिव हाला मैं बहुत पी चुका जीवन में बहुत …
मुस्कुराहट से मेरी हाल-ऐ-दिल बयान नहीं होता नज़रों से मेरी मेरे ईमान का गुमान नहीं होता सोचते हो तुम गर मुझे जानते होतो मेरे दीदार से मेरे दिमाग का इल्म नहीं होता कहीं गर तुम मेरे आब -ऐ-तल्ख़ देखोगेतो कहीं मेरे दर्द का हिसाब मत लेनाकि मेरे चेहरे के इंतेखाब-ऐ-आलम सेमेरी हार का हिसाब मत लेना मुस्कराहट …