Abstract Poems

मैं शिव हूँ, शिव् है मुझमें

मैं शिव हूँ, शिव् है मुझमें  ये राष्ट्र मेरा शिवाला  हाँ हूँ मैं शिव और शिव है मुझमें  पीता आया हूँ बरसों से मैं हाला  एक युग बीत गया तपस्या में फिर भी नरसंहार हुआ है  एक युग हुआ मेरे आसान को  फिर भी विनाश नहीं है थमता  क्या भूल गए तुम मुझको  यदि पी …

बहुत हो चुका परिहास

रक्त की आज फिर बानी है धारा  फिर रहा मानव मारा मारा  हीन भावना से ग्रसित अहंकारी  फैला रहा घृणा की महामारी  वर्षो बीत गए उसको समझाते  हाथ जोड़ जोड़ उसे मनाते  फिर भी ना सीखा वो संभलना  आता है उसे केवल फिसलना  सन सैंतालीस में खाई मुँह की  सन पैंसठ में भी दिखाई पीठ  सन …

दरख़्त

शाख वो काट रहे, उसी शाख पर बैठकि कुदरत की नेमत पर कर रहे घुसपैठशाख पर हुई चोट से दरख़्त सकपकाया आंधी के झोंके में उसने उस इंसां को गिरायाचोट लगी उसपर तो इंसां चिल्लायाशर्मसार नहीं हुआ ना उसको समझ आयाउठा कुल्हाड़ा उसने दरख़्त पर चलायाइस हिमाकत पर उसकी सरमाया भी गुस्सायाआसमाँ में बादल गरजे, …

ता ज़िन्दगी मैं सुनता रहा

ता ज़िन्दगी मैं खामोश रहाखामोश दर्द में जीता रहाक़ि सोचता था कभी ज़िन्दगी मेंमैं हाल-ए-दिल बयां करूँगा सुनते सुनते होश खो गएहाल-ए-दिल बयां ना हुआदर्द अपनी हद से आज़ाद हुआफिर भी शब्द जुबां पर ना आए आज सोचा था मेरे अपने होंगेजो मुझमें एक इंसां देखेंगेशायद वो मुझे समझेंगेकभी बैठ साथ मेरी सुनेंगे जब प्लाट …

कहानी हम जैसों की

कहते इसे कहानी घर घर की हैं  इसमें ना कोई अपना है ना पराया  पाना हर कदम पर तुमको धोखा है  यही बस इस कहानी का झरोखा है  कोई किसी का नहीं है यहाँ  सारे अपने आप से ही जूझ रहे  किसी को नहीं है समय यहाँ  सारे अपने ही ग़मों से लड़ रहे  कहते …

कहने को बहुत कुछ था

कहने को बहुत कुछ था  मगर वो सुन नहीं पाये  आये थे मेरे दर पर मिलने  मगर मिल नहीं पाये  हमने सोचा कि गुफ्तगूं करेंगे  मगर फिर खामोश ही रह गए  कहने को बहुत कुछ था  मगर वो सुन नहीं पाये  अंदाज़ वो अपने अब देखते हैं  आईने में अब खुद से छुपकर  जुबां पर उनके …

दूर निकल आए हैं

दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी चाहत में नहीं अब दिखती खुदाई  तेरी नज़रों की जुदाई में  दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी निगाहो में नहीं मिलती राह अब हमें तेरी अपनी निगाहों में  कहीं क़ाफ़िला निकल कोई कहीं चाहत का जनाज़ा रूखसत हुए आज कुछ कुछ को मिला नया ज़माना दूर निकल …

ओम नमो गणपतये नमः

परब्रह्म रुपम देवम  प्रणाम है देव नित्यम रूप प्रखर धार कर वक्रतुंड लंबोदरम दान दे आज धरा को विघ्नकर्ता पाप का विनाश कर उथ्थान कर मानव का मानवता को प्रखर कर गणपति गणेश गजनरेश  शिव महिमा का है लम्बोदर आज इस धरा पर प्रचार कर  अपनी शक्ति से हे परब्रह्म  तू मानवता को सद्बुद्धि दे  ओम …