Abstract Poems

कहानी हम जैसों की

कहते इसे कहानी घर घर की हैं  इसमें ना कोई अपना है ना पराया  पाना हर कदम पर तुमको धोखा है  यही बस इस कहानी का झरोखा है  कोई किसी का नहीं है यहाँ  सारे अपने आप से ही जूझ रहे  किसी को नहीं है समय यहाँ  सारे अपने ही ग़मों से लड़ रहे  कहते …

कहने को बहुत कुछ था

कहने को बहुत कुछ था  मगर वो सुन नहीं पाये  आये थे मेरे दर पर मिलने  मगर मिल नहीं पाये  हमने सोचा कि गुफ्तगूं करेंगे  मगर फिर खामोश ही रह गए  कहने को बहुत कुछ था  मगर वो सुन नहीं पाये  अंदाज़ वो अपने अब देखते हैं  आईने में अब खुद से छुपकर  जुबां पर उनके …

दूर निकल आए हैं

दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी चाहत में नहीं अब दिखती खुदाई  तेरी नज़रों की जुदाई में  दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी निगाहो में नहीं मिलती राह अब हमें तेरी अपनी निगाहों में  कहीं क़ाफ़िला निकल कोई कहीं चाहत का जनाज़ा रूखसत हुए आज कुछ कुछ को मिला नया ज़माना दूर निकल …

ओम नमो गणपतये नमः

परब्रह्म रुपम देवम  प्रणाम है देव नित्यम रूप प्रखर धार कर वक्रतुंड लंबोदरम दान दे आज धरा को विघ्नकर्ता पाप का विनाश कर उथ्थान कर मानव का मानवता को प्रखर कर गणपति गणेश गजनरेश  शिव महिमा का है लम्बोदर आज इस धरा पर प्रचार कर  अपनी शक्ति से हे परब्रह्म  तू मानवता को सद्बुद्धि दे  ओम …

अल्पविराम

कलम आज भीगी है अश्रुओं से पत्तों की तरह बिखरे हैं विचार  अल्पविराम सा लग गया है जीवन में  अर्धमूर्छित हो चला है मष्तिस्क  ह्रदय में आज बसी है जीवनहाला जीवन भी भटक गया है हर राह अंधकारमय है  हर ओर छा रहा अँधियारा  कलम से आज निकल रही अश्रुमाला पी रहा आज मैं अपनी …

नहीं तेरे लहू में वो रंग

लहू तेरा बहा है आज  लुट रही कहीं तेरी अपनी लाज नहीं किंतु तेरे लहू में वो रंग नहीं उस लुटती लाज के कोई संग कहीं दूर कोई धमाका हुआ किसी का बाप, भाई, बेटा हताहत हुआ छपा जैसे ही यह समाचार गरमा गया सत्ता का बाज़ार   नहीं तेरे लहू से इनको कोई सरोकार …