Abstract Poems

बीते वक़्त का तराना

आज याद आता है वो गुजरा ज़माना बचपन का हर वो तराना था कुछ और ही वक़्त वो जब दूरदर्शन शुरू होता था शाम को क्या वक़्त था वो 80s 90s का जब एक घर में चार नहीं चार मोहल्लो में एक टीवी होता था याद आता है आज वो ज़माना…बचपन का हर तराना वो …

चेहरा तेरा

देखूं जब भी चेहरा तेरा दिखे मुझे प्यार तेरा हो चाहे फिर सांझ सवेरा दिखे मुझे सिर्फ प्यार तेरा लट यूँ उलझी लटके सर पर जैसे हो मेरे राग की दुल्हन आँखों से छलके बूर तेरा देख पढूं में इश्क का कलमा देखूं जब भी चेहरा तेरा ना रहे मुझे होंश जरा फिर हो चाहे …

निर्णय

जीवन की डगर पर हमराह तो बहुत मिले जीवन की इस डगर पर अंत तक का साथ ना मिला मिले बहुतेरे जग में हर किसी की थी अपनी राह इस डगर पर साथ मेरे ना बना कोई हमसफ़र जीवन संध्या के पल पर तुम मिले तो कुछ आस बंधी कि जीवन डगर पर हमें भी …