याद आते हैं बचपन के वो दिनजब खेलते थे हम गलियों में उधम जब करते थे दोस्तों संग हर त्यौहार पर होता था हर्षो-उमंग क्या दिन थे वो भी हमारे अपने कि बारिश की बूंदों में नाच उड़ते थे कलकल करते रह के पानी में कागज़ की कश्ती बना चलाया करते थे ना जाने कहाँ खो गए हैं वो दिन ना …
राजनीति का अधर्म है यह या है अधर्म की राजनीति नैतिकता जहां लगी दांव पर व्यक्तित्व का जहां हुआ संहार आलोचना जो करनी थी नेता की कर बैठे नीतियों का मोल व्यक्ति विशेष पर करनी थी टिप्पणी कर बैठे राष्ट्र का अपमान इतना भी क्या घमंड वर्षों का इतना भी क्या दम्भ पैसों का इतना भी क्या मोह सत्ता का इतना भी क्या घमंड …
क्या कहें और कैसे कहें कि कहीं छुपा एक राज है कहीं ज़ुबान पर आ गया तो खुदा समझ मेरे जज़्बात हैं कहीं किसी के नूर में छुपे हुए कुछ अल्फ़ाज़ हैं कहीं हलक से सरक गए तो खुदा समझ मेरे हालत हैं कि तकल्लुफ़ ना करना मेरी रूह के दीदार का कहीं दीदार गर …
गरज बरस मेघा सी क्यों लगती हो चमक दमक बिजली सी क्यों चमकाती हो क्यों काली घटाओं सा इन लटों को घुमाती हो क्यों अपने नेत्रों से अग्निवर्षा करती हो अधर तुम्हारे पंखुड़िया से कोमल हैं जो उन अधरों से क्यों घटाओं सी गरजती हो नेत्र विशाल कर माथे पर सलवटें क्यों माश्तिष्क से विकार …
क्या तुम सोचते हो क्या चाहते हो कभी किसी कदम पर क्या पाते हो जीवन के पथ पर किस और जाते हो हर पल जो करते हो वही पाते हो अथक प्रयन्त कभी निरर्थक नहीं होते फल की आशा से कभी स्वप्न नहीं बुनते निरंतर प्रयास ही सफलता का साधन हैं असफलता के द्वार कभी …
धरा की धरोहर सा संजोया जिसे अंतर्मन में बसा आत्मा बनाया जिसे स्वयं को छोड़ अपनाया जिसे तुम्ही हो अर्धांगिनी मैंने बनाया जिसे परमात्मा के परोपकार से जो मिली धर्मात्मा के आशीर्वाद से जो मिली अग्नि के साक्ष्य में जो मिली वही हो तुम तो मेरी जीवनसंगिनी बनी कहीं तुम्हारी सफलता ही है लक्ष्य मेरा जीवन द्वंद्व तो …
You are the one and only With whom I am never lonely You are the one and only With whom I feel homely You make me feel loved You make me feel blessed You are the one and only one With whom I have a home Never would I defy the God Should he tell …
जीवन द्वंद्व में लीन है मानव ढूंढ रहा जग में स्वयं को नहीं कोई ठोर इसका ना दिखाना दूर है छोर, ढूंढने का है दिखावा नहीं किसी को सुध है किसी की अपने ही जीवन में व्यस्त है हर कोई ढूंढ रहा है हर कोई स्वयं को छवि से भी अपनी डरता है हर कोई …
निगाहों में तेरी ज़िंदगी अपनी ढूँढते है जीने के लिए तेरी बाहों का आसरा चाहते हैं दिन कुछ ही गुज़रे है दूर तुझसे फिर भी ना जाने एक अरसा क्यूँ बिता लगता है ज़ुस्तज़ु है मेरी या है कोई आरज़ू कि आँख भी खुले तो तेरी बाहों में और कभी मौत भी आए तो आसरा …
आनंदन नहीं दिखता इनको जो अफ़ज़ल पर रोए हैं राम इनको काल्पनिक दिखता बाबर इनका महकाय है रामायण इनकी है कहानी मात्र किंतु शूर्पणखा एक किरदार है महिसासुर इनको खुद्दार दिखता दुर्गा नाम से इनका क्या पर्याय है राष्ट्र विरोधी कथनो और नारों में दिखती इन्हें अपनी स्वतंत्रता है वन्दे मातरम के उच्च स्वर में …