बात जब तुम्हारी आती है मुझे हर बात वो प्यारी लगती है नाराज़ भी गर तुम होती हो मुझे फिर भी प्यारी तुम लगती हो जाने अनजाने में हर वक़्त तुम सिर्फ प्यार करना जानती हो शर्मोहया के लिहाफ से भी तुम सिर्फ प्यार का पैगाम भिजवाती हो ज़िंदगी के हर पल हर लम्हे में …
तेरे आने से ये सहर महके तेरे आने से मेरा घर महके तेरे आने की खबर सुनकर मेरी ज़िंदगी का हर पल महके तेरे आने से आये ज़िंदगी में बहार तेरे आने से ज़िंदगी गाये मेघ-मल्हार तेरे आने से मेरा घर महके तेरे आने से ये सहर महके आये ज़िंदगी में रौनक और खुशियाँ कि तेरे आने …
कुछ लोग जो खुद को खुदा मानते हैं औरो को कुछ कम आंकते हैं उन लोगों की क्या बात करें जो धरती के सीने पर बोझ हैं कहीं कुछ बोलते हैं कहीं हैं कुछ करते सारी ज़िंदगी बस खुद की हैं सोचते जानते नहीं क्या खुदा है खुद को खुदा मानते हैं दुनिया में सबके …
कितने आंसू कितने दर्दभरे ज़िंदगी ने मेरे दामन मेंना कोई हिसाब है इनकाना ही है ज़िंदगी को गुमां जाने किस कदर बीते वो पलजाने कौन घड़ी हुए वो रुखसतकि हमें यह गुमां भी ना हुआकि जाने कब बीत गए बरसों दर्द भरे दामन में ज़िंदगी केतन्हाई बसर जो करती थीकि मानो बुला रही वह मौत कोकि जैसे फैला …
नभःस्पृशं दीप्तम् ————————————————————- आसमां की ऊँचाई से ना वो डरते हैं ना आसमां की ऊँचाई में वो खोते हैं वो तो सिर्फ आसमां की ऊँचाई को छू देश की रक्षा में ज़िंदगी कुर्बान करते हैं नहीं डरते हैं ऊँची तन्हाइयों से ना ही डरते हैं परिन्दो से ऊँचा उड़ने से ना उन्हें खौफ है दुश्मनों …
दौलत से तो हूँ मैं गरीबपर हूँ खुदा के इतना करीबजानता हूँ क्या है इंसानियतपरख लेता हूँ मैं हैवानियत दो गज ज़मीन पर सोता हूँदो जून रोटी से गुज़रा करता हूँमहंगाई मुझे क्या सताएगीमैं तो अपनी ही किस्मत का मारा हूँ सर्द हवाओं के झोंकों मेंदर अपने बंद करता हूँबरसात की बूंदें ना आएयह सोच …
आज की शाम फिर उदास है मन में आज एक प्यास है क्यों ज़िन्दगी में ये, क्योंतेरे बिन दिल उदास है ना जाना मुझे छोड़ अकेलारहना साथ मेरे तू हमेशाना तेरे बिन है ज़िन्दगी पूरीहै ये दुनिया बिन तेरे अधूरी आज की शाम फिर उदास हैदिल में दबी एक प्यास हैज़िन्दगी में अब तेरा ही …
रजनी तोरे आँचल में जो चांदनी खीली लगे जैसे मोहे मोरी सजनी मिली आवन से तोरे उसके आवन का होए आभास जैसे अम्बर में हो चाँद का प्रकास रजनी तोरे आवन से सजनी का जोवन भरा रजनी तोरे आवन से सजनी का साथ मिला कहें तोसे का कि तोरे रूप में हमका हमरे जीवन भर …
याद हैं मुझे वो लम्हात जब हुआ था दीदार तेरा क्या हंसीं पल था क्या हंसी था मंज़र चहरे पर तेरे उडती वो लट आँखों में मेरी मौजूदगी का सवाल हाथों में उन चूड़ियों की खनक होठों पर तैरती एक मुस्कराहट वो मंज़र वो पल वो लम्हात बस गए हैं दिल में मेरे दिया तेरी …
राह पर साथ मेरे बन तू हमराही हाथ थाम तू बन मेरी माही बन हमकदम तू चल साथ मेरे बन हमराज़ तू चल साथ मेरे बहुत हुआ जीवन में जीना अकेले जीवन के पलों में हँसना अकेले थाम तू मेरा हाथ तू चल साथ मेरे बसा मेरा नया संसार जीवन में मेरे चाहूँ मैं अब जीना …