Today is the day when he was born He made me feel special He made me feel like I was reborn This day rechristened me as the Father I saw him grow from a little tiny baby I saw him grow taller and brighter He made me feel once again young I felt like living my …
तिनका तिनका जोड़ आशियाँ जो बनाया था तेरी जुल्फों के साये में जिसे सजाया था अपने खून-ऐ-जिगर से जिसे बनाया था वो आशियाँ सरे राह बेज़ार हो गया कि सरे राह तू क्या मिली आज तेरे दीदार से फिर भी ये दिल नाखुश था नज़रें तेरी उठी तो हमारी ओर पर उनका रुख हमारी ओर …
दिन ढले कहीं छाँव दिखती है सूरज की तपिश से रहत मिलती है शाम के समय कदम उठते हैं घर को चलते हुए ये थमते हैं कि कहीं दिल के किसी कोने में याद तेरी मुझे सताती है ठिठके से ये कदम यूँ मुडते हैं कि राह छोड़ घर की मदिरालय ढूंढते हैं दिन ढले …
रे मैं तेनु वेंखया जद ये आँखां हुई नम रे मैं तेनु वेंखया जद ये सांसां हुई बंद नाम मैं तेरा लेते लेते कर गई खुद से जुंग नाम मैं तेरा लेते लेते हार गयी अपनी जंग इश्क में तेरे अपना हर सुख तज गयी मैं इश्क तुझसे करके मैं बण गयी रांझणा तेरी हीर नाम तेरे …
अम्बर में जब छाए काले मेघा प्यासी धरती को एक आस लगी बरखा की बूंदे जब सिमटी आँचल में धरा की अपनी प्यास बूझी जन जन में उल्लास उठा हर ओर एक उन्माद दिखा बूंदों ने जब सींचा जड़ों को वृक्षों ने भी श्रृंगार किया देख धरा के वैभव को मयूर ने भी नृत्य किया …
You swing on your decisions as if You playing a jigsaw puzzle or if You sitting on a See-saw Whenever I spend time with you I feel elated and happy But the moment you turn away from me You seem to be forgetting my existence It so seems that You just deny to accept my …
बन मुसाफिर चला मैं इश्क की राह परढूँढता था मैं अपना हमसफ़रना मिला मुझे हमसफ़रना हुई नसीब इश्क की मंजिलइश्क के जोग ने मेरा अक्स लूटाइश्क के जोग में मेरा घर छूटा बन मुसाफिर चला मैं इश्क की राह परना दिन का अहसास था न थी रात की फिकरबस था मेरे मन में जिंदगी की …
दिल ये मेरा आज कह रहा है तुमसे मिलने की दुआ कर रहा है ना जाने ये इतना बेचैन क्यों है तुम्हारे पास होकर भी इतना दूर क्यों है धडकन आज मेरी जो कह रही प्यार में तुम्हारे ये भी तड़प रही नाम ये तेरा ही ले रही फिर भी ना जाने क्यों ये थम …
मैं जो निकला अपने शहर से दुनिया अपनी छोड़ कर सपनो की मंजिल खोजता हूँ राहों में ठोकरें खाता हूँ ना कोई घर है ना ठीकाना हर कोई यहाँ बेगाना सपनो की मंजिल खोजता हूँ भीड़ में राहें खोजता हूँ जग ये सारा अजनबी है शक्लें यहाँ है बेगानी ना कोई साया साथ है ना …
किसी के इस कदर हम हो गए कि खुद से ही जुदा हो गए राह ज़िंदगी की भूल कर खुशी और गम से दूर हो गए आँखों में अब बस ख्वाब है उनका ख़्वाबों में हैं उनका ही नूर दिल मेरा हो गया उन्ही का इश्क मुझे हो गया उन्ही से क्या करें अब नहीं …